मैं पहले भी यहां लिखने की आदत बनाने की कोशिश कर चुका हूं.. पर कर नहीं पाया. अब फिर से कोशिश करने लगा हूं. शायद इस बार आदत टिकी रहे?
आदत बनाने की कोशिश में मैंने इस चिट्ठे का प्रारूप बदल डाला. सोचा कि अगर मुझे चिट्ठा देखना पसंद आए, तो शायद मेरा कुछ ना कुछ लिखने का भी मन करें.
चलो अभी के लिए इतना ही काफी हैं. आज-कल मेरी कुछ मध्यावधि परीक्षाएं चल रही हैं पर अगर आज रात को समय मिलता है तो कुछ और लिखूंगा.
29 जनवरी 2008
पुनः पुनर्जन्म?
समय : 14:37
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