08 अक्तूबर 2007

वाक्-स्वातंत्र्य

तो आज-काल ज़ैंगा ने "Featured Question" शुरू किया है । रोज, वह एक चुनिंदा सवाल प्रकाशित करते हैं और चिट्ठकों को जवाब देने का मौका मिलता है । मैं सोच रहा हूं कि कभी-कभी अगर कोई रोमांचक सवाल हो जिससे मेरा खून खौले (या फिर सिर्फ़ कोई ऐसा सवाल हो जिसके जवाब में मेरा कुछ कड़े राय हो), तब मैं यहां आकर अपना जवाब लिखूंगा ।

तो आज का सवाल :

"क्या वाक्-स्वातंत्र्य पर कभी भी कोई रोक लगनी चाहिए ? क्यौं ?"


मेरे हिसाब से मेरे राजनीतिक राय "वामपंथी" कहलाए जाते होंगे । स्वतंत्रताओं और अधिकारों के मामले में मुझे नहीं लगता कि सरकार को कभी भी अपने नागरिकों से वाक्-स्वातंत्र्य जैसे मूल्य अधिकार छीनने का कोई हक प्राप्त है । सच तो यह है कि लोकतांत्रिक सरकारों का एक बुनियादी कार्य इन ही अधिकारों की रक्षा करना है ।

पर, अप्रतिबंद्ध वाक्-स्वातंत्र्य पाकर भी शायद समस्याएं नष्ठ नहीं होती । इस दुनिया में, अच्छे लोग तो काफ़ी हैं पर फ़िर भी, बुरे लोगों की कोई कमी तो है नहीं । अप्रतिबंद्ध अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य के अनुसार, भेदभाव करनेवालों को अपनी नफ़रत फ़ैलाने का पूरा अधिकार होगा । इसके अलावा, संयुक्त राज्य में आम दौर पर वाक्-स्वातंत्र्य की रोक लगाने कि लिए एक उदाहरण दिया जाता है कि, क्या लोगों को भरे हुए चलचित्रघर में "आग" चिल्लाने का अधिकार होना चाहिए ? और अमरीकी न्यायिक पूर्ववृ्त्त का कहना है कि, नहीं, ऐसे चिल्लाने से लोगों को खतरे में डालना सही नहीं है ।

सिर्फ़ इस उदाहरण को देखो तो शायद मैं भी इसके नतीजे से सहमत हूं पर ... ऐसी न्यायिक पूर्ववृत्त के अनुसार निर्णय लेने में भी खतरा है । जनता के लिए क्या "खतरा" है, यह फैसला लेने का अधिकार किसको दिया जाएं ? मैं यहां अमरीका में ही ज्यादा पढ़ा-लिखा हूं तो मुझे यहां का ही ज्यादा पता है पर ... अमरीकी इतिहास मे एक समय "Red Scare" कहलाया जाता है । इस समय में वामपंथियों के विरुद्ध, खास तौर पर साम्यवादियों के विरुद्ध, बहुत भेदभाव हुआ । उस समय में वामपंथी राय भी खतरे माने जाते थें । मेरे मानना है कि यह हर दृश्य से गलत है । राजनीतिक राय के खिलाफ़ भेदभाव करने का कोई तुक नहीं बनता । संविदान प्राप्त वाक्-स्वातंत्र्य के पीछे अगर कोई एक मतलब था, तो वह कम से कम राजनीतिक राय की सुरक्षा करना है । नहीं तो सरकारी शक्ति के नीचे हर किसी भिन्नमतावलंबी की आवाज़ पिचक जाएं । इस लिए, मेरा मानना है कि, मनुष्यों की इस सदोष दुनिया की सीमाओं के भीतर, जितनी कड़ी वाक्-स्वातंत्र्य संभव है, उतनी ही कड़ी स्वातंत्र्य को स्थापित करना हमारा आदर्श है ।

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मेरे बारे में

aevynn
कैलिफोर्निया का एक विश्वविद्यालयी छात्र